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दुर्ग निगम, निलंबन विवाद बिलासपुर हाईकोर्ट पहुँचा – राजनीतिक दबाव की राजनीति को करारा झटका
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 3 सितम्बर 2025,  11:46 AM IST
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दुर्ग निगम, निलंबन विवाद बिलासपुर हाईकोर्ट पहुँचा – राजनीतिक दबाव की राजनीति को करारा झटका , कुछ आपत्तियाँ लगाईं जाने क्या है। पूरी खबर पढ़े www.jwalaexpress.com पर

ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज

याचिका 22 अगस्त 2025 को दायर हुई।

26 अगस्त 2025 को रजिस्ट्री ने कुछ आपत्तियाँ लगाईं। कि कुछ पन्ने स्पष्ट नहीं हैं, इसलिए सही और स्पष्ट कॉपी प्रस्तुत करनी होगी।

29 अगस्त 2025 को पहली बार कोर्ट में सूचीबद्ध हुआ।

दुर्ग। नगर निगम दुर्ग के चर्चित निलंबन मामले ने अब नया रुख ले लिया है। निगम आयुक्त पर पूर्ववर्ती सरकार से जुड़े कई नेताओं द्वारा हस्तक्षेप कर निलंबन आदेश को प्रभावित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा था। इतना ही नहीं, वर्तमान शहरी सरकार की ओर से भी भूपेंद्र गोइर को शीघ्र बहाली दिलाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की खबरें सामने आ रही थीं।

लेकिन अब यह मामला सीधे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, प्रधान पीठ बिलासपुर तक पहुँच गया है। भूपेंद्र गोइर ने अपने निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर की है। यह मामला “सेवा संबंधी निलंबन” (Service Matters – Suspension) की श्रेणी में दर्ज किया गया है। न्यायालय ने इसे फ्रेश मैटर्स के रूप में सूचीबद्ध किया और पहली सुनवाई 29 अगस्त 2025 को माननीय न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ में हुई।

न्यायालय में दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के साथ ही अब यह पूरा प्रकरण न्यायिक दायरे में आ चुका है। रजिस्ट्री की ओर से तकनीकी आपत्तियाँ भी लगाई गईं थीं, जिसके लिए याचिकाकर्ता की ओर से अलग से एक्जेम्पशन एप्लीकेशन दाखिल की गई है। इसका मतलब यह हुआ कि अब आगे की कोई भी कार्यवाही केवल और केवल उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद ही संभव होगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकरण ने राजनीतिक हस्तक्षेप की कोशिशों पर बड़ा ब्रेक लगा दिया है। जिस तरह नेताओं और सत्ता पक्ष द्वारा दबाव डालकर निलंबन आदेश को पलटने का प्रयास किया जा रहा था, अब न्यायालय के संज्ञान में आने से वह पूरी तरह ठप हो चुका है। नगर निगम के प्रशासनिक हलकों में भी यह संदेश साफ है कि जब तक हाईकोर्ट का निर्णय नहीं आता, तब तक किसी भी तरह की बहाली या कार्रवाई संभव नहीं है।

इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक दबाव बनाने वालों को करारा झटका दिया है और अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट के अगले आदेश पर टिकी हैं।

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