दुर्ग/बिलासपुर। नगर निगम दुर्ग में पदस्थ सहायक ग्रेड-III भूपेंद्र गोईर को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। उन्होंने अपने निलंबन आदेश के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट की शरण ली थी, लेकिन अदालत ने सीधे निलंबन को निरस्त करने के बजाय मामले को विभागीय स्तर पर निपटाने का आदेश दिया है। अब संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग रायपुर को चार सप्ताह के भीतर भूपेंद्र गोईर की ओर से लगाए गए आरोपों और प्रतिवेदन पर निर्णय लेना होगा।
भूपेंद्र गोईर को 7 अगस्त 2025 को नगर निगम आयुक्त दुर्ग सुमित अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 की धारा 9(1) के तहत निलंबित कर दिया था। गोईर ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई आयुक्त की व्यक्तिगत दुर्भावना का नतीजा है और उन्होंने शासन सचिव व विभागीय संचालक को प्रतिवेदन दिया, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।
याचिका की सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि उपलब्ध अभिलेखों व तथ्यों के आधार पर संचालक स्वयं मामले की जांच करें और कानून के अनुसार निष्पक्ष निर्णय दें। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि संचालक को किसी भी पक्ष के प्रभाव से मुक्त रहते हुए निर्णय करना होगा।
इस आदेश के बाद अब गोईर का मामला विभागीय स्तर पर ही तय होगा। यानी उन्हें तत्काल बहाली की राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट के इस निर्देश से साफ है कि अब अंतिम फैसला संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के हाथ में है, जिसे चार सप्ताह में सुनाना होगा।
? नगर निगम दुर्ग के इस बहुचर्चित निलंबन प्रकरण में हाईकोर्ट का आदेश कर्मचारियों और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि लंबे समय से इस मामले पर स्थानीय स्तर पर दबाव और राजनीति हावी रही है।

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