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पर्दाफाश: MP में 183 करोड़ का फेक बैंक गारंटी घोटाला; CBI ने इंदौर की फर्म के एमडी को किया अरेस्ट
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 11 सितम्बर 2025,  08:31 PM IST
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सीबीआई ने इंदौर की एक फर्म के एमडी को 183 करोड़ रुपये के बैंक गारंटी घोटाले में गिरफ्तार किया। आरोपी ने जाली दस्तावेजों के जरिए 974 करोड़ के सिंचाई प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल कर 85 करोड़ एडवांस लिया।

इंदौर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मध्य प्रदेश में एक बड़े वित्तीय घोटाले का पर्दाफाश किया है। एजेंसी ने इंदौर स्थित एक निर्माण कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) को 183 करोड़ रुपए के जाली बैंक गारंटी घोटाले में गिरफ्तार किया है।

कैसे रची गई साजिश?

जांच के अनुसार, आरोपी ने पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के नाम पर जाली बैंक गारंटियां तैयार कीं। ये गारंटियां मध्य प्रदेश जल निगम के तहत सिंचाई परियोजनाओं के टेंडर में बोली लगाने के लिए अनिवार्य थीं। आरोपी ने इन जाली दस्तावेजों के दम पर लगभग 974 करोड़ रुपए के ठेके हासिल किए और सरकार से 85 करोड़ रुपए एडवांस पेमेंट भी ले लिया।

हालांकि, प्रोजेक्ट्स या तो अधर में लटके रहे या सिर्फ कागजों पर पूरे दिखाए गए। सीबीआई का मानना है कि यह फर्जीवाड़ा कई सालों से चल रहा था और इसमें सरकारी अधिकारियों व बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत भी हो सकती है।

सीबीआई की कार्रवाई और गिरफ्तारी

बता दें, सीबीआई ने 9 सितंबर को छापेमारी कर आरोपी एमडी को इंदौर से गिरफ्तार किया। तलाशी के दौरान डिजिटल रिकॉर्ड्स, जाली दस्तावेज, बैंक स्टेटमेंट्स और स्टाम्प पेपर बरामद किए गए। आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे रिमांड पर भेज दिया गया। सीबीआई अधिकारी ने कहा कि “हम इस साजिश के सभी पहलुओं को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सरकारी फंड्स की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।

असर और आगे की जांच

यह घोटाला मध्य प्रदेश के सिंचाई विभाग के लिए बड़ा झटका है। इससे किसानों और ग्रामीण इलाकों में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। राज्य सरकार ने विभागीय समीक्षा शुरू कर दी है। सीबीआई ने मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) और IPC की धाराओं में दर्ज किया है। एजेंसी अब मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य संबंधित घोटालों की भी जांच कर रही है। आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां संभव हैं।

बहरहाल, यह केस एक बार फिर सरकारी टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों से न केवल सरकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं, बल्कि जनता का विश्वास भी डगमगाता है।

(स्रोत: हालिया समाचार रिपोर्ट्स और आधिकारिक अपडेट्स पर आधारित)

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