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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: नाबालिग से दुष्कर्म-हत्या केस में आरोपियों की फांसी रद्द
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 11 सितम्बर 2025,  09:22 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: नाबालिग से दुष्कर्म-हत्या केस में आरोपियों की फांसी रद्द

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़की से यौन उत्पीड़न और हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपियों की फांसी की सजा रद्द कर दी और उन्हें सबूतों की कमी के चलते बरी कर दिया।


? सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

  • मृत्युदंड तभी दिया जाए, जब अभियोजन पक्ष ऐसे ठोस सबूत पेश करे, जो निर्दोषता की हर संभावना को खत्म कर दें।

  • परिस्थितिजन्य साक्ष्यों में विरोधाभास होने पर आरोपी को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।

  • जब दो व्याख्याएं संभव हों, तो आरोपी के पक्ष वाली व्याख्या को प्राथमिकता दी जाएगी।


? पूरा मामला

  • 2014, काठगोदाम (उत्तराखंड): विवाह समारोह के दौरान नाबालिग लड़की का कथित अपहरण, यौन उत्पीड़न और मौत।

  • 2016: विशेष पॉक्सो अदालत ने अख्तर अली को मृत्युदंड और प्रेमपाल वर्मा को 7 साल कैद की सजा दी।

  • 2019: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखते हुए फांसी की सजा सुनाई।

  • 2025: सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को दोषमुक्त किया।


? सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रद्द की फांसी?

  • वैज्ञानिक साक्ष्यों में खामियां।

  • अंतिम बार देखे जाने की थ्योरी में विरोधाभास।

  • पुख्ता और निर्णायक सबूतों का अभाव।


? सुप्रीम कोर्ट ने बचन सिंह (1980) और मच्छी सिंह (1983) केस का हवाला देते हुए कहा कि मृत्युदंड अपवाद स्वरूप ही दिया जा सकता है, सामान्य नियम नहीं होना चाहिए।

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