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हरियाणा की बॉक्सर जैसमीन व मीनाक्षी बनीं विश्व विजेता, नुपूर व पूजा को भी मेडल
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 15 सितम्बर 2025,  10:55 PM IST
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हरियाणा की बॉक्सर जैसमीन व मीनाक्षी बनीं विश्व विजेता, नुपूर व पूजा को भी मेडल

विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में हरियाणा की बेटियों ने इंग्लैंड के लिवरपूल शहर में इतिहास रच दिया। भिवानी की मुक्केबाज जैसमीन लंबोरिया ने 57 किग्रा और रोहतक की मीनाक्षी हुड्डा ने 48 किग्रा भारवर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर परचम लहराया। वहीं, भिवानी की मुक्केबाज नुपूर श्योराण को रजत और पूजा रानी बोहरा को कांस्य पदक मिला है। भारत को एक ही दिन में महिला बॉक्सिंग में चार पदक मिले। इस जीत के साथ जैसमीन और मीनाक्षी विश्व चैम्पियन की सूची में शामिल हो गई हैं।

जैसमीन ने ऐसे दिलाई गोल्डन जीत

जैसमीन लंबोरिया ने पेरिस ओलंपिक की रजत पदक विजेता पोलैंड की जूलिया जेरेमेटा को हराकर फीदरवेट वर्ग में चैम्पियन का खिताब हासिल किया। पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाली जैसमीन ने 57 किलोवर्ग के फाइनल में शनिवार को देर रात 4-1 से जीत दर्ज की। जैसमीन ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता था और वह राष्ट्रीय स्तर पर कई चैम्पियनशिप जीत चुकी हैं। वह भारतीय सेना में भी हैं। खेल उनके खून में है। जैसमीन के चाचा संदीप व परविंदर बॉक्सर रहे हैं। उनके परदादा हवा सिंह ने एशियाई खेलों में दो बार गोल्ड मेडल जीता था। उनके दादा कैप्टन चंद्रभान पहलवान थे। वहीं, पिता जयवीर होमगार्ड हैं।

अभावों के बीच मीनाक्षी सोने से चमकी

रोहतक के गांव रुड़की की मीनाक्षी हुड्डा ने पेरिस ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता कजाखस्तान की नाजिम काइजेबे को 48 किग्रा वर्ग के फाइनल में 4-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। इससे भारतीय खेमे की खुशियां दोगुनी हो गईं। मीनाक्षी का यह सफर इतना आसान नहीं था। उसके पिता श्रीकृष्ण ऑटो चलाते हैं। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह मीनाक्षी के खेल का खर्च उठा पाते। इसलिए कोच विजय हुड्डा ने रुड़की की एकेडमी में मीनाक्षी की मदद की। मीनाक्षी ने 2019 में यूथ नेशनल गेम्स में गोल्ड और इसके बाद 2021 में सीनियर नेशनल में सिल्वर मेडल जीता। मीनाक्षी ने खेल के दम पर ITBP में नौकरी हासिल की और परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक की।

भिवानी की नुपूर और पूजा का कमाल

भिवानी की मुक्केबाज नुपूर श्योराण को 80 प्लस किलो वर्ग में पोलैंड की अगाता काज्मार्स्का से 2-3 से हार का सामना करना पड़ा और उन्हें रजत पदक मिला। वहीं, भिवानी की ही मुक्केबाज पूजा रानी बोहरा को 80 किलो वर्ग में स्थानीय खिलाड़ी एमिली एस्क्विथ के हाथों 1-4 के विभाजित फैसले से हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

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