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CM बोले- भारत में बोली जाती हैं सबसे ज्यादा भाषाएं-बोलियां:भोपाल में हुआ हिंदी अलंकरण सम्मान समारोह; साहित्यकार, शोधकर्ता और मनीषी हुए सम्मानित
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 15 सितम्बर 2025,  11:06 PM IST
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CM बोले- भारत में बोली जाती हैं सबसे ज्यादा भाषाएं-बोलियां:भोपाल में हुआ हिंदी अलंकरण सम्मान समारोह; साहित्यकार, शोधकर्ता और मनीषी हुए सम्मानित

भोपाल के रविन्द्र भवन स्थित हंसध्वनि सभागार में सोमवार को राष्ट्रीय हिन्दी अलंकरण सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव देशभर से चयनित साहित्यकारों, शोधकर्ताओं और मनीषियों को सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं, जहां पर सर्वाधिक बोली और भाषा बोली जाती है। वह एकमात्र देश हमारा भारत है। कदम-कदम पर बदलते कहां-कहां से क्या-क्या और कैसी-कैसी भाषाएं हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंच पर मौजूद संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग के एसीएस शिव शेखर शुक्ला से कहा कि हमारी रानी दुर्गावती 52 युद्ध लड़ती थी। इनके जीवन पर काव्य लिखाकर पाठ्यक्रम में इन्हें जोड़ा जाना चाहिए। जिससे हमारे इतिहास से जुड़ी गौरव गाथाएं जन-जन तक पहुंचे। भोज के शासन काल में कवियों की प्रतियोगिता होती थी। ऐसा माना जाता है कि राजा भोज एक-एक शब्दों पर सोने की ईंट देते थे। यह हमारी भाषाओं को प्रोत्साहन देने का उज्जवल काल था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने की। समारोह के दौरान विविध प्रकाशन का विमोचन हुआ। जिनमें भारतीय भाषा आलोक, समाज की भाषा का संकल्प, भोजपुरी प्रतिभाएं, शिवगीता, अवधूतगीता, श्रीकृष्ण चरित्र और श्रीराधा द्वापर युग की महानायिका जैसे ग्रंथ शामिल हैं।

इस दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को विक्रमोत्सव 2025 के लिए एशिया के शासकीय समारोह की विशेष श्रेणी में मिला गोल्ड अवॉर्ड भी भेंट किया गया। यह सम्मान WOW अवॉर्ड एशिया की टीम द्वारा दिया गया।

रविन्द्र भवन स्थित हंसध्वनि सभागार में राष्ट्रीय हिन्दी अलंकरण सम्मान समारोह हुआ।

रविन्द्र भवन स्थित हंसध्वनि सभागार में राष्ट्रीय हिन्दी अलंकरण सम्मान समारोह हुआ।

ये हुए सम्मानित

  • प्रशांत पोल, जबलपुर - प्रशांत जबलपुर के बहुआयामी और समर्पित लेखक हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन में बीई ऑनर्स तथा मराठी में एमए किया। इनकी पुस्तक ‘वे पंद्रह दिन’ हिंदी सहित आठ भाषाओं में प्रकाशित हुई। कंप्यूटर इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर कोडिंग, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए हिंदी को लोकप्रिय बनाने में योगदान को देखते हुए राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 2024 से अलंकृत किया गया।
  • लोकेन्द्र सिंह राजपूत, भोपाल - लोकेन्द्र सिंह राजपूत का जन्म 14 जनवरी 1984 को ग्वालियर में हुआ। वर्तमान में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। देशभर के समाचार पत्रों में आलेख, यात्रावृत्तांत, कविताएं और शोध प्रकाशित होते हैं। हिंदी ब्लॉगिंग में राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित है। सोशल मीडिया और डिजिटल ऑडियो-वीडियो एडिटिंग के माध्यम से किए गए कार्यों के लिए राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 2025 दिया गया।

 

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