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वायशेप ब्रिज पर धूल का गुब्बारा, राहगीर और मासूम बच्चे परेशान
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 18 सितम्बर 2025,  12:33 PM IST
  • 2007
वायशेप ब्रिज पर धूल का गुब्बारा, राहगीर और मासूम बच्चे परेशान

दुर्ग। (ज्वाला एक्सप्रेस न्यूज)

दुर्ग शहर के वाय शेप ब्रिज पर इन दिनों धूल का गुब्बारा उठने से आमजन का जीना मुहाल हो गया है। सड़क की मरम्मत और रखरखाव की कमी के चलते ब्रिज पर लगातार धूल उड़ रही है, जिससे राहगीर, वाहन चालक और छोटे-छोटे स्कूल के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

राहगीरों और बच्चों की पीड़ा

स्कूल से लौटते छोटे बच्चे चेहरे पर रुमाल बाँधकर या बैग से मुँह ढककर चलने को मजबूर हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि “धूल की वजह से बच्चों की आँखों और गले में जलन हो रही है, खांसी और सांस लेने में दिक्कत भी बढ़ गई है।”

राहगीर भी शिकायत कर रहे हैं कि धूल के गुबार से रोजाना सफर करना किसी यातना से कम नहीं।

पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन

निर्माण और रखरखाव कार्यों के दौरान धूल नियंत्रण के लिए जल छिड़काव (water sprinkling) और ढकाव (covering) अनिवार्य है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के नियमों के अनुसार, सार्वजनिक स्थलों पर धूल प्रदूषण रोकने के लिए जिम्मेदार एजेंसी को नियमित सफाई और धूल दमन की कार्रवाई करनी होती है।

लेकिन व्याशेप ब्रिज पर इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण और आमजन की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है।

प्रशासन से मांग

स्थानीय नागरिकों ने नगर निगम और प्रशासन से मांग की है कि ब्रिज पर धूल दमन के लिए तुरंत पानी का छिड़काव, सड़क की मरम्मत और नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए। साथ ही दोषी ठेकेदार या जिम्मेदार एजेंसी पर कार्रवाई की जाए।

जन भावना का सवाल

यह केवल सड़क या पुल की समस्या नहीं, बल्कि बच्चों की सेहत और नागरिकों की सुरक्षा का सवाल है। छोटे-छोटे मासूम जब रोजाना धूल में साँस लेने को मजबूर हों, तो यह शहर के हर संवेदनशील नागरिक को झकझोरता है। प्रशासन को अब यह समझना होगा कि विकास कार्य सिर्फ ढाँचे खड़े करने से नहीं, बल्कि जनहित और पर्यावरण संरक्षण दोनों के संतुलन से पूरे होते हैं।

 

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