हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में शनिवार को किसानों का धैर्य टूट गया। भारतीय किसान यूनियन चढूनी के बैनर तले सैकड़ों किसान शाहाबाद क्षेत्र में दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे-44 जीटी रोड पर उतर आए और जाम लगा दिया। किसानों का आरोप है कि सरकार ने कागजों में तो धान खरीद 22 सितंबर से शुरू कर दी, लेकिन हकीकत में किसानों की फसल अभी तक नहीं उठी। प्रदर्शन के दौरान किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी मौके पर पहुंचे और सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
किसानों ने गुरुवार सुबह 11 बजे भाकियू चढूनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में शाहाबाद मार्केट कमेटी कार्यालय के समक्ष धरना दिया। मौके पर डीएसपी रामकुमार और एसडीएम शाहाबाद चिनार चहल पहुंचीं। चढूनी ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को मौके पर बुलाने की बात कही। जब काफी देर तक अधिकारी मौके पर नही पहुंचे तो दोपहर ढाई बजे किसानों ने जीटी रोड की तरफ कूच कर दिया।
जैसे ही किसानों ने हाईवे पर जाम लगाया, पुलिस और प्रशासन हरकत में आ गया। शाहाबाद की एसडीएम चिनार चहल खुद मौके पर पहुंचीं और किसानों से बातचीत की। पहले प्रशासन ने लाडवा रोड पर बेरिकेडिंग करके किसानों को रोकने की कोशिश की, लेकिन किसान गलियों और वैकल्पिक रास्तों से निकलकर जीटी रोड पर पहुंच गए। इसके बाद शिव मंदिर के पास हाईवे जाम कर दिया गया, जिससे दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। पुलिस ने ट्रैफिक को डायवर्ट किया और स्थिति को संभालने में जुट गई। हालांकि, यात्रियों को करीब दो घंटे तक परेशानी का सामना करना पड़ा
किसान नेता चढूनी ने कहा कि धान खरीद को लेकर सरकार हर साल किसानों को सड़कों पर बैठने के लिए मजबूर करती है। उन्होंने कहा कि अगर धान खरीद शुरू हो चुकी है तो फिर मंडियों में पड़ी फसल क्यों नहीं उठ रही? जब एक कटोरी तक धान नहीं खरीदी गई तो सरकार किस खरीद का दावा कर रही है? उन्होंने कहा कि सरकार को पहले से ही खरीद नीति तय करनी चाहिए ताकि किसानों को हर साल आंदोलन न करना पड़े। लेकिन बार-बार आश्वासन देने के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
चढूनी ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग और मंडी के शेलरों पर सीधा आरोप लगाया कि जानबूझकर हड़ताल की जाती है और खरीद प्रक्रिया लटकाई जाती है। इस खेल में विभाग और शेलर दोनों शामिल हैं। सरकार किसानों की बात सुनने के बजाय शेलरों के साथ खड़ी होती है। यही कारण है कि किसानों की उपज समय पर नहीं बिकती और उन्हें घाटे में बेचना पड़ता है। उन्होंने मांग की कि जिन शेलरों ने बाहर से चावल खरीदकर स्टॉक जमा कर लिया है, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। साथ ही सरकार को पारदर्शी नीति बनाकर खुद खरीद प्रक्रिया की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
किसान नेता ने पोर्टल की धीमी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 22 सितंबर को खरीद शुरू होनी थी, लेकिन किसानों की एंट्री मेरी फसल मेरा ब्योरा पर अभी तक क्लियर नहीं हुई। ऐसे में किसान की फसल बिकेगी कैसे? चढूनी बोले कि इस तरह की तकनीकी बाधाएं किसानों के धैर्य की परीक्षा लेने के बराबर है।
करीब दो घंटे तक प्रशासन और किसानों के बीच बातचीत चली, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। अंततः किसान हाईवे पर धरने पर बैठ गए। बाद में अधिकारियों ने किसानों की मांगों को मानने का आश्वासन दिया। इसके बाद किसानों ने जाम खोलने का फैसला किया। जाम खुलने के बाद यातायात बहाल होने में करीब एक घंटा और लग गया। किसान नेताओं का साफ कहना था कि हर साल इस तरह की स्थिति न बने, इसके लिए सरकार को धान खरीद को लेकर एक स्थायी नीति लागू करनी होगी। चढूनी ने कहा कि हमारी लड़ाई किसी दल या व्यक्ति से नहीं है। यह किसानों के हक की लड़ाई है। जब तक सरकार स्थायी समाधान नहीं निकालती, तब तक ऐसे आंदोलनों से बचना मुश्किल है।
हालांकि प्रशासन की ओर से आश्वासन दिया गया कि जल्द ही पोर्टल से जुड़ी समस्या का समाधान होगा और किसानों की फसल की खरीद प्राथमिकता के आधार पर शुरू कराई जाएगी। एसडीएम चिनार चहल ने किसानों से संयम बरतने की अपील की और कहा कि सरकार किसानों को नुकसान नहीं होने देगी।
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