भारत ने बुधवार (24 सितंबर) को देर रात इतिहास रचते हुए रेल-बेस्ड मोबाइल लॉन्चर सिस्टम से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। कैनिस्टराइज्ड लॉन्चिंग सिस्टम से संचालित यह मिसाइल हर तरह के मौसम और परिस्थितियों में लॉन्च की जा सकती है।
यह मिसाइल टेस्ट ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि यह सिस्टम पूरी से तरह स्वदेशी और हर रेल नेटवर्क पर कार्य करने में सक्षम है।
मिसाइल लॉन्चर के लिए ट्रेन को विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। ताकि, यह देश के हर रेल नेटवर्क पर चल सके। यह मिसाइल सिस्टम रात के अंधेरे और कोहरे में भी मिसाइल लॉन्च कर सकता है।
ट्रेन से मिसाइल लॉन्च करने की दक्षता अभी रूस, चीन, नॉर्थ कोरिया जैसे चुनिंदा देशों में है। अमेरिका ने इस प्रणाली की कभी पुष्टि नहीं की है। इन देशों की श्रेणी भी अब भारत भी शामिल हो गया।
इसमें मिसाइल को मजबूत धातु कंटेनर (कैनिस्टर) में रखा जाता है। ताकि, नमी, धूल और मौसम से मिसाइल सुरक्षित रहे।
इस सिस्टम के जरिए ट्रक, रेल या मोबाइल लॉन्चर से भी मिसाइल टेस्ट किया जा सकता है। यह दुश्मन को भ्रमित करने में मदद मिलती है। क्योंकि कैनिस्टर से यह पता लगाना मुश्किल है कि उसमें मिसाइल है या नहीं।
अग्नि प्रोग्राम की संक्षिप्त यात्रा
भारत ने पहली अग्नि मिसाइल का परीक्षण 1989 में किया था। यह 700-900 किमी रेंज में मारक क्षमता की थी। 2004 में सेना में शामिल किया गया। इसके बाद भारत ने समय समय पर अग्नि सीरीज की 5 मिसाइलें लॉन्च की। जून 2021 में अग्नि प्राइम का पहला परीक्षण हुआ।
भारत ने जुलाई 2025 में ULPGM-V3 नामक स्मार्ट मिसाइल का ड्रोन से सफल परीक्षण किया था। आंध्र प्रदेश के नेशनल ओपन एरिया टेस्टिंग रेंज, कुरनूल में इसका परीक्षण हुआ। यह मिसाइल भी दिन-रात और हर मौसम में लक्ष्य को भेद सकती है। लॉन्चिंग के बाद टारगेट बदलने की क्षमता इसे बेहद खतरनाक बनाती है।
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