• +91 99935 90905
  • amulybharat.in@gmail.com
छत्तीसगढ और भी
श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ पारसनगर-नगपुरा में धनतेरस के अवसर पर महाप्रभाविक मंगल पूजा एवं हवन अनुष्ठान 18 अक्टूबर को
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 15 अक्टूबर 2025,  03:02 PM IST
  • 137
श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ पारसनगर-नगपुरा में धनतेरस के अवसर पर महाप्रभाविक मंगल पूजा एवं हवन अनुष्ठान 18 अक्टूबर को

नगपुरा। जैन समाज का प्रसिद्ध तीर्थ श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ पारसनगर-नगपुरा में इस वर्ष भी धनतेरस के पावन अवसर पर महाप्रभाविक अधिष्ठायक देव श्री माणिभद्रवीरजी की मंगल पूजा एवं हवन अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। यह पवित्र आयोजन दिनांक 18 अक्टूबर 2025, शनिवार प्रातः 11:30 बजे से आरंभ होगा।
तीर्थ पर प्रतिवर्ष धनतेरस के दिन विशेष महाभिषेक एवं अष्टप्रकारी पूजा विधिविधानपूर्वक संपन्न की जाती है। इस अवसर पर श्री माणिभद्र वीर जी की सर्वोषधि से अभिषेक कर भक्तगण पुण्यलाभ प्राप्त करते हैं। तीर्थ में इस वर्ष चातुर्मास विराजित श्री लब्धि-विक्रम गुरु कृपाप्राप्त गच्छाधिपति तीर्थ प्रतिष्ठाचार्य आचार्यदेवेश श्रीमद् ‌विजय राजयश सूरीश्वरजी म सा के आज्ञानुवर्तिनी पूज्य प्रवर्तिनी साध्वीवर्या श्री वाचंयमा श्रीजी म सा (बेन म सा) की प्रशिष्या साध्वी श्री लक्ष्ययशा श्रीजी म सा, साध्वी श्री लब्धियशा श्रीजी म सा, साध्वी श्री आज्ञायशा श्रीजी म सा आदि ठाणा 3 की निश्रा में यह अनुष्ठान आयोजित होगा।
कार्यक्रम के विधीकारक गौरव जैन (नागेश्वर तीर्थ चौमहला, राजस्थान) रहेंगे, जो सम्पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना, हवन एवं महाभिषेक संपन्न कराएंगे।

Image after paragraph


इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित श्रद्धालु लाभार्थी के रूप में शामिल होंगे —
 गजराज जी मांगीलालजी पगारिया (तीर्थ अध्यक्ष) - रायपुर, श्रीमती सुनीतादेवी उगमचंदजी कटारिया - वणी (महाराष्ट्र), श्रीमती सुनीतादेवी-मुकेशजी कोठारी - विराटनगर (नेपाल),  अतुल्य जैन - नेहरू नगर, भिलाई (दुर्ग), श्रीमती राजलक्ष्मी गोलछा - विराटनगर (नेपाल), श्रीमती सुशीलाबाई शांतिलालजी बैद परिवार - राजनांदगांव, तिलोकचंदजी राजेन्द्रकुमार गोलछा - राजनांदगांव, विनितजी इंदरचंदजी लूनिया (दादा ब्रदर्स) - दुर्ग सपरिवार
तीर्थ स्थापना के प्रारंभ से ही यह वार्षिक अनुष्ठान भक्ति और श्रद्धा के साथ संपन्न होता आ रहा है। यहां श्री माणिभद्र वीर जी की हाजर-हुजूर प्रतिष्ठा है, जहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु सुखड़ी नैवेद्य एवं श्रीफल अर्पित करते हैं। भक्तजन बताते हैं कि तीर्थ में आने वाले यात्रियों को अनेक प्रकार के प्रभाव और दिव्य अनुभूतियों का अनुभव होता है।
यह पवित्र अवसर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज में एकता, भक्ति और संस्कारों की अनुपम मिसाल प्रस्तुत करता है।

RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37

RO. NO 13404/ 37

Add Comment


Add Comment

629151020250338041002855468.jpg
RO. NO 13404/ 37
74809102025230106banner_1.jpg
RO. NO 13404/ 37
98404082025022451whatsappimage2025-08-04at07.53.55_42b36cfa.jpg
RO. NO 13404/ 37
74809102025230106banner_1.jpg
RO. NO 13404/ 37
98404082025022451whatsappimage2025-08-04at07.53.55_42b36cfa.jpg





ताज़ा समाचार और भी
Get Newspresso, our morning newsletter