मध्यप्रदेश के सीहोर में एक ऐसा गांव है जहां सांपों की अदालत लगती है। राजधानी भोपाल से 43 किमी दूर लसूड़िया परिहार गांव में 200 साल पुरानी परंपरा चली आ रही है। दिवाली के दूसरे दिन हर साल गांव में लगने वाली अदालत में सर्पदंश से पीड़ित स्वास्थ्य होने के लिए पहुंचते हैं। शुक्रवार (1 नवंबर) को भी गांव के हनुमान मंदिर में सांपों की अदालत लगी। अनोखे कोर्ट में बड़ी संख्या में सर्पदंश से पीड़ित पहुंचे। आइए जानते हैं सांपों की अदालत की खासियत, मान्यता और महत्व? 'पूछ पर पैर रखा था तो किसी ने परेशान किया' मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंत्रों से सर्प को बुलाया जाता है। सर्प अपने शरीर को छोड़कर जिसको काटता है उसके शरीर में आता है। मानव शरीर में आने के बाद काटने का कारण बताता है। फिर मंत्रों से मानव शरीर से सर्प के विष को उतारते हैं। दोबारा ऐसा न होने का लेते हैं संकल्प पेशी के दौरान सांप के डसने का कारण जानने के अलावा दोबारा ऐसी घटना न हो इसका संकल्प लिया जाता है। पेशी के दौरान मानव शरीर में आने के बाद सर्प डसने की वजह बताते हैं। कोई कहता है पूछ पर पैर रखा था तो कोई कहता है परेशान किया था। पुजारी ने बताया कि यह परंपरा 200 साल पुरानी है। पहले पूर्वज नर्मदा नदी में स्नान करके मंत्रों से सर्प के विष को उतारते थे। थाली बजाते ही झूमने लगे पीड़ित लसूड़िया परिहार के हनुमान मंदिर में शुक्रवार (1 नवंबर) को भी सांपों की अदालत लगी। जैसे ही सांप की आकृति बनी थाली को नगाडे की तरह बजाना शुरू किया तो सर्पदंश से पीड़ित लोग झूमने लगे। एक-एक कर सभी पीड़ितों को पंडित के सामने लाया गया और उनके शरीर से सर्प के विष को उतारा गया। इस अनोखी परंपरा को देखने सैकड़ों लोग पहुंचे। पंडित सांप से पूछते हैं सवाल? लोगों का कहना है कि पीड़ित के शरीर में उस समय नाग होता है। पंडित नाग से सवाल पूछते हैं क्यों डसा? पंडित के सवाल का जवाब देते हुए सर्प डसने का कारण बातते हैं। कारण सामने आने के बाद पंडित के कहने पर पीड़ित वचन देते हैं कि वो कभी किसी सांप को परेशान नहीं करेंगे। कहते हैं कि सैकड़ों पीड़ितों का उपचार होने से लगातार यहां लोगों की आस्था बढ़ रही है। Disclaimer: यह खबर सिर्फ जानकारी के लिए बनाई गई है। इस तरह की परंपरा और अंधविश्वास को haribhoomi.com बढ़ावा नहीं देता है। ऐसी परंपराओं के दावे और चमत्कार को लेकर haribhoomi.com पुष्टि नहीं करता है।
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