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6 सौ गरीब परिवारो को पक्का मकान, स्थानियों को नौकरी एवं प्रदुषण रोकने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन..
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 2 दिसम्बर 2024,  06:34 PM IST

दुर्ग । समीपस्थ औद्योगिक ग्राम रसमडा जिला दुर्ग के लगभग 600 गरीब हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास दिलाने, स्थानियो को उद्‌‌द्योगों में स्थाई नौकरी दिलाने एवं गाव सहित आस-पास के क्षेत्रो में उदयोगों द्वारा फैलाये जा रहे अंधाधुंध प्रदुषण पर रोक लगाने मुख्यमंत्री एवं उप-मुख्यमंत्री गृहमंत्री व जिले के प्रभारी मंत्री विजय शर्मा के नाम कलेक्टर को पूर्व संरपंच एवं पूर्व उपाध्यक्ष दुर्ग ग्रामीण मंडल भाजपा रामखिलावन यादव के नेतृत्व में सौपा गया है। इसकी प्रतिलिपि लोकसभा सांसद विजय बघेल एवं क्षेत्रीय विधायक व उपाध्यक्ष मंत्री दर्जा छत्तीसगढ़ शासन ललित चंद्राकर को भी मिलकर सौपा गया है।
दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि सन् 2011'2 में गरीबी रेखा के आवासहिनों से लेकर 2019-20 तक के आवासहिनो की सूची 06/11/2020 को ग्राम पंचायत एवं ग्राम सभा (जी.पी.डी.पी.) में अनुमोदित कर जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत को प्रेषित की जा चुकी है  लेकिन खेद का विषय है कि 2011'2 से लेकर आज 2024 तक भी जिला एवं राज्य शासन प्रशासन में यह सूची स्वीकृति में पंजीकृत नहीं हो पाई है। ऐसे में जहां 588 लगभग 600 गरीब हितग्राहियो की हजारो परिवार आज केंद्र एवं राज्य शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना से वंचित हो चुके है।
ज्ञात हो कि यहां के सैकड़ों किसानो ने हजारो एकड़ कृषि भूमि उद्योग विकास के लिए शासन को दे दिए थे कि यह सोचकर कि जमीन के बदले उनके परिवारों को अच्छी नौकरी मिलेगी, जिंदगी संवरेगा लेकिन इस गांव के होनहार आई.टी.आई. डिप्लोमा इंजिनियरिंग आदि शिक्षित-प्रशिक्षित होकर भी यहां कई उद्योगों के बावजूद रोजगार की तलाश में यहां वहा भटक रहे है, वहीं यहा पर अन्य जिलों एवं राज्यों से लाकर 50-60 हजार रुपये तक के वेतनमान से रोजगार दिया गया है। क्या यहां के स्थानीय बेरोजगार जिनके गांव में उद्योग लगा है जिन्होने उद्योग के लिए अपने पुश्तैनी जमीन दे दी है क्या उन्हे 15-20 हजार रुपये महिने की स्थाई नौकरी के हकदार नहीं है । यहां पर कुछ लोगो को कंपनी ठेकेदारो के माध्यम से काम तो मिला है लेकिन शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन, भविष्यनिधि स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा तक की सुविधा नहीं दी जा रही है। कई श्रमिक सेवा देते सेवानिवृत्त हो चुके है लेकिन उसके आश्रित परिवारों को 2 हजार रुपये तक की महिने में पेंशन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में उनके आश्रित परिवार बाकि के जिंदगी कैसे जियेगा। स्वास्थ्य बीमा जिसमें कार्यरत श्रमिक उनके पत्नि बच्चे सहित कार्यरत श्रमिक के माता-पिता का भी इलाज का प्रावधान है लेकिन यहां के कंपनी मालिक ठेकेदार उनके स्वास्थ्य बीमा की राशि जमा ही नहीं करते जिससे श्रमिक स्वयं के राशि में अपने व अपने परिवार का इंलाज कराने मजबुर होते है ।
यहां विशेषकर महिला श्रमिको को कई कंपनी जैसे टॉपवर्य प्रा. लि, श्रीराम इंडस्ट्रीस प्रा. लि., पालीबांड प्रा.लि. जेडी. इस्पात, जे.डी.फूह प्रा. लि. आदि में प्रतिदिन 150 रु. से 200 रु. तक की कम मेहनताना दी जाती है जो महिने में पांच से सात हजार रुपये तक की कार्यरत महिला श्रमिको को नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे उद्योग संचालक एवं ठेकेदार एंजेसी के खिलाफ गंभीर अपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए। वहीं यहां के उद्योग संचालक प्रदुषण के प्रति जरा भी गंभीर नहीं है बिना प्रदुषण नियंत्रण मशीन के उपयोग किये अंधाधुंच प्रदुषण फैला रहे है जिससे जान-माल की हानि से गाँव एवं ग्रामिणो में निराशा ही निराशा है।
अतः परिस्थितियो को गंभीरता से लेते हुए अब जब केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के 18 लाख से भी अधिक आवासहिनो को प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति प्रदान की है ऐसे में श्रमिक बहुल, किसान से बसुंदरा बेरोजगार बहुल इस गाँव के आवासहिनो की सूची शासन-प्रशासन में पंजीकृत एवं स्वीकृति प्रदान कर अविलंब वैकल्पिक रूप से प्रधानमंत्री आवास योजना की लाभ दिलाने, स्थानियों को स्थाई रोजगार दिलाने एवं गांव सहित क्षेत्र में हो रहे भयानक प्रदुषण पर रोक लगाने की कृपा करेगे, इसके लिये हम सभी ग्रामवासी आपका सदैव सदैव आभारी रहेगें। ज्ञापन सौंपने वाले में  राम खिलावन यादव, सोहन निर्मलकर, रूपेश यादव, भगवानी साहू, नवीन देवदास शामिल थे।


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