रायपुर। असम के बोडोलैंड आंदोलन से लंबे समय तक जुड़े रहे गोबिंदा चंद्र बसुमतारी ने उग्रवाद छोड़कर आत्मसमर्पण किया और अब वे असम के उदलगिरी विधानसभा से विधायक हैं। बोडो आंदोलन में लंबे समय तक उग्रवाद और हिंसा को प्रत्यक्ष देखने और आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा चुके गोबिंदा का जीवन तभी बदल पाया जब उन्होंने हथियार छोड़े और शांति ते हैं कि हिंसा से की राह पकड़ी। वे कहते हैं कि। कुछ हासिल नहीं होता। उन्होंने हरिभूमि से चर्चा करते हुए कहा, वे अपने आधा दर्जन साथियों के साथ बस्तर आ रहे हैं। वे बस्तर में कई कार्यक्रम करके बताएंगे कि सामूहिक आत्मसमर्पण करने से क्या फायदा होता है।
उल्लेखनीय है कि, केंद्रीय मंत्री अमित शाह का 15 दिसंबर को बस्तर का दौरा है। इसके दो दिन पहले बस्तर में प्रदेश के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा की पहल पर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराने के लिए एक अलग तरह का कार्यक्रम कराया जा रहा है। बस्तर भी कमोवेश उसी हालात से गुजर रहा है। सरकारी नीतियों के खिलाफ युवा हथियार उठाकर हिंसा के रास्ते पर हैं। एक साल में नक्सलियों के खिलाफ विष्णुदेव सरकार ने सफल अभियान चलाया है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार चाहती है कि हिंसा थमे और नक्सली हथियार छोड़कर मुख्य धारा में लौट आएं। बस्तर में शांति स्थापित हो जैसे असम में हुई थी।
प्रदेश सरकार का मकसद दो साल में बस्तर से नक्सलवाद को समाप्त करना है, इसलिए कई तरह से प्रयास हो रहे हैं। डिप्टी सीएम विजय शर्मा का कहना है, हम नक्सलियों से किसी भी माध्यम से आज भी बात करने के लिए तैयार हैं। हमारी सरकार चाहती है कि नक्सली असम के उग्रवादियों की तरह ही हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटें। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने बस्तर से दो साल में नक्सलवाद को समाप्त करने का ऐलान किया है। इसके बाद से लगातार नक्सलियों के खिलाफ प्रदेश सरकार का अभियान चल रहा है। जहां एक तरफ लगातार मुठभेड़ में नक्सली मारे जा रहे हैं, वहीं नक्सली थोक में लगातार आत्मसमर्पण भी कर रहे हैं।
गोबिंदा साथियों के साथ आएंगे 13 दिसंबर को
असम में 50 सालों तक बोडोलैंड आंदोलन चला है। 27 जनवरी 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों से बोडो मुद्दे पर बड़ा समझौता हुआ और 15 सौ हथियार बंद उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। इसमें गोबिंदा चंद्र बसुमतारी और उनके साथी भी शामिल थे। आत्मसमर्पण करने के बाद बसुमतारी ने उदलगिरी से 2021 में चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने हैं। प्रदेश के डिप्टी सीएम विजय शर्मा की उनसे असम के दौरे में मुलाकात हुई थी। अब वे बस्तर ओलंपिक में डिप्टी सीएम विजय शर्मा के बुलाने पर बस्तर में कई स्थानों पर आत्मसमर्पण करने से क्या फायदा होता है, यह बताने के लिए अपने पांच और साथियों बिनुवल वारी, अजॉय कुमार भोबारा, दिलरंजन नरजारी, साहेन वारी और मार्क डाईमारी शामिल के साथ 13 दिसंबर को बस्तर आ रहे हैं।
गोबिंदा की समझौते में रही अहम भूमिका
असम में 25 साल से ज्यादा समय तक जो हिंसा का माहौल हम लोगों ने देखा है, उसको जब केंद्रीय मंत्री अमित शाह की पहल पर समझौते के तहत बोडे मुद्दे का समाधान किया गया, तो इसमें आज के विधायक गोबिंदा चंद्र बसुमतारी की अहम भूमिका रही। उनकी पहल पर ही केंद्र सरकार समझौते के लिए तैयार हुई थी, लेकिन समझौते के लिए दो गुट तैयार नहीं थे, लेकिन विधायक गोबिंदा चंद्र बसुमतारी ने उनको भी सहमत करने में अहम भूमिका निभाई। समझौते के बाद भी उग्रवाद के पैर पसारने के प्रयास किए, लेकिन असम में जहां भाजपा की सरकार थी, वहीं केंद्र में भी भाजपा की सरकार होने के कारण कड़ाई से उग्रवाद को फिर से सिर उठाने से रोका गया और उग्रवाद करने वालों को जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया।
नक्सली हथियार छोड़ मुख्यधारा में लौटें, यही प्रयास : विजय शर्मा
डिप्टी सीएम विजय शर्मा का कहना है असम के पूर्व उग्रवादियों को बस्तर लाकर सामूहिक आत्मसमर्पण और हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटने के फायदे बताने के पीछे का मकसद यह है कि हमारी सरकार चाहती है कि बस्तर से नक्सलवाद समाप्त हो और नक्सली हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटें। हम आज भी नक्सलियों से किसी भी माध्यम से चर्चा करने के लिए तैयार हैं। नक्सली यदि हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटते हैं तो इससे अच्छी कोई बात नहीं होगी, लेकिन वे ऐसा करने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो भी नक्सलवाद को दो साल में समाप्त करने का हमारा पूरा संकल्प है।
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