• +91 99935 90905
  • amulybharat.in@gmail.com
जरा हट के और भी
"कम खाइए लेकिन मस्त खाइए, देने की प्रवृत्ति अपनाइए, भारतीय ज्ञान और परंपराओं को अपनाइए"
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 20 दिसम्बर 2024,  08:28 PM IST
  • 153

‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ पर कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कार्यशाला 
भिलाई। 
शिक्षाधानी भिलाई के सेक्टर-7 स्थित कल्याण महाविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ पर विषय विशेषज्ञों और अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट्स ने विचार व्यक्त किए। 
एक दिवसीय कार्यशाला को  महाविद्यालय के सभागर में आयोजित किया गया। इसमें बतौर मुख्य अतिथि भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान, भिलाई (IIT, Bhilai) के डायरेक्टर प्रो.राजीव प्रकाश शामिल हुए। उन्होंने कार्यशाला के पहले सेशल में विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया। प्रो.प्रकाश ने कहा कि आई.आई.टी भिलाई कई इनोवेटिव्स कार्य कर रहा है। विद्यार्थियों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों के आइडियाज का स्वागत है। हम ए से जेड तक के काम को बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे। इक्यूपमेंट उपलब्ध करवाएंगे। फंडिंग भी करेंगे। बशर्तें आप यह स्पष्ट करें कि आपके आमुख कार्य से समाज को, जनहित को या किसी भी निर्धारित क्षेत्र को क्या लाभ होगा ? 
उन्होंने महाविद्यालय के एक शोधार्थी के द्वारा शिवनाथ नदी के प्रदूषण के कारणों पर किए जा रहे रिसर्च की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने कहा कि हम इक्यूपमेंट से लेकर फंड मुहैया करवाएंगे लेकिन आपके शोध से हासिल क्या होगा ? उन्होंने कहा कि नदी के प्रदूषण और उसके दूषित  होने के कारणों के बारे में कई शोधों से जानकारियां सामने आ चुकी है। लेकिन इसमें आप क्या नया करेंगे। आपके रिसर्च से आई.आई.टी या फिर कम्युनिटी को क्या लाभ होगा। उन्होंने बतौर उदाहरण कहा कि अगर आप तय करेंगे कि इसके बाद शिवनाथ के तटीय रहवासी क्षेत्र में वाटर प्यूरीफायर लगाएंगे तो हम फंडिंग भी करेंगे और तकनीकी संस्थान भी आपको उपलब्ध करवाएंगे। 

Image after paragraph

कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि और पूर्व IAS अफसर डॉ.बी.एल.तिवारी ने अपने प्रशासनिक अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कल्याण कॉलेज के सेक्टर-7 स्थित मौजूदा परिसर की स्थापना में आने वाली रुकावटों का उल्लेख करते हुए स्थापित होने तक की प्रशासनिक बातों का जिक्र किया। हम आपको बता दें कि डॉ.तिवारी गरियाबंद जिले के रहने वाले है। वे कई जिलों के कलेक्टर, संभाग के आयुक्त और कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शोधार्थी भी रहे है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य और शिक्षाविद डॉ.विनय शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में जबरदस्त समां बांध दिया। उन्होंने मुख्य अतिथि प्रो.राजीव प्रकाश और विशिष्ट अतिथि डॉ.बी.एल.तिवारी का उल्लेखनीय परिचय देते हुए बताया कि दोनों ही अतिथियों ने महाविद्यालय के आमंत्रण को सहर्षपूर्ण स्वीकार करते हुए यहां बच्चों का ज्ञानवर्धन किया है। 
प्राचार्य डॉ.विनय शर्मा ने साठ के दशक में आरंभ हुए कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कल्याण और विकास की गाथा पर प्रकाश डाला। डॉ.विनय शर्मा ने कार्यशाला के विषय ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ को शब्दश: बारीकियों से समझाया। 
इस दौरान राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ.मणिमेखला शुक्ला ने सरस्वती वंदन और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष डॉ.अनुराग पाण्डेय ने किया। जबकि आई.क्यू.ए.सी की प्रभारी डॉ.शबाना ने आभाय व्यक्त किया। इस अवसर पर अतिथियों का शाल, श्रीफल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया। 
इस दौरान मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ कल्याण समिति के उपाध्यक्ष पूर्णेन्दु देवदास, समिति के सचिव जे.एल.सोनी, दिग्विजय कॉलेज के प्राध्यापक डॉ.सुरेश पटेल, अतुल नागले व उनकी टीम, सुलह केन्द्र के संयोजक प्रह्लाद चंद्राकर व अन्य उपस्थित रहे।
महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.पी.एस.शर्मा, डॉ.मणिमेखला शुक्ला, डॉ.सुधीर शर्मा, डॉ.कविता वर्मा, डॉ.गुणवंत चंद्रौल, डॉ.हरीश कश्यप, डॉ.नीलम शुक्ला, डॉ.क्षिप्रा सिन्हा, डॉ.नरेश देशमुख, डॉ.मयूसपुरी गोस्वामी व अन्य प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे। 
विभिन्न महाविद्यालय के प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक, महाविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी, स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थी, एनसीसी कैडेट आदि उपस्थित रहे। 

Image after paragraph

भारतीय ज्ञान परंपरा का करें प्रसार...
कार्यशाला में अतिथियों द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रसारित करने जोर दिया गया। अतिथियों ने उदाहरण देते महाविद्यालय के प्राध्यापकों से कहा कि हमारी पुरातन संस्कृति ही सैकड़ों वर्षों से विश्व जगत को प्रकाशमय करते आ रही है। इसके पुनर्जागरण का वक्त आ गया है। हमें पाश्चात्य संस्कृति की होड़ में बिल्कुल नहीं रहना है। हमें तो ऋषि-मुनियों के विचारों और जीवन पद्धतियों को आत्मसात करना है। 
हमारी पद्धति में है ताकत...
अतिथि और आई.आई.टी के डायरेक्टर प्रो.राजीव प्रकाश ने उदाहरण देते हुए बताया कि करीब 22 साल पहले मैं विदेश में रहता था। वहां मेरा स्वास्थ्य खराब हो गया था। तब वहां के डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्शन में तुलसी की बूंदों का उल्लेख किया था। तब मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि विदेश में बैठे डॉक्टर ने दवाई के बजाए मुझे तुलसी जैसी प्राकृतिक संसाधन से स्वस्थ होने का गुर बता दिया था। जबकि डॉ.बी.एल.तिवारी ने मजाकिया अंदाज में कहा कि दो ही रोटी खाइए लेकिन मस्त रहिए। 20 रोटी खा रहे है फिर हवाबांण का सेवन कर रहे है तो इतना खाना भी आपके भविष्य के लिए चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि हमें खाकर पचाने का जुगाड़ करना पड़ रहा है और हमारे बगल में कोई व्यक्ति या जीव की अतड़ियां भूख में सूख रही है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारा मानव होना चिंताजनक है। थोड़ा दाता के रूप में देना, लोगों की मदद करना शुरू करें। अगर आप ऐसा करते है तो दायरा बढ़ाइए बड़ा आनंद आएगा। उन्होंने दुर्ग शहर और दुर्ग जिले में लागू हुए साक्षरता मिशन के समय अपने प्रशासनिक अनुभवों को साझा करते हुए कई मददगारों का स्मरण किया।

Image after paragraph

RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37
RO. NO 13404/ 37

RO. NO 13404/ 37

Add Comment


Add Comment

629151020250338041002855468.jpg
RO. NO 13404/ 37
74809102025230106banner_1.jpg
RO. NO 13404/ 37
98404082025022451whatsappimage2025-08-04at07.53.55_42b36cfa.jpg
RO. NO 13404/ 37
74809102025230106banner_1.jpg
RO. NO 13404/ 37
98404082025022451whatsappimage2025-08-04at07.53.55_42b36cfa.jpg





ताज़ा समाचार और भी
Get Newspresso, our morning newsletter