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दीक्षा के बाद 13 वर्षीय डुग्गू मेहता बने मुनि हंसभद्र
  • Written by - amulybharat.in
  • Last Updated: 30 मई 2025,  11:08 PM IST
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दीक्षा के बाद 13 वर्षीय डुग्गू मेहता बने मुनि हंसभद्र

दीक्षा समारोह में देशभर से जुटे जैन समाज के लोग

दुर्ग। श्री आदिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर ट्रस्ट, सत्वनाद संयमोत्सव समिति दुर्ग द्वारा आयोजित संयम कार्यक्रम में महज 13 वर्ष की उम्र में सांसारिक सुखों को त्यागकर संयम और वैराग्य की राह चुनने जा रहे नन्हें रूहान मेहता उर्फ डुग्गू की दीक्षा समारोह शुक्रवार को राधाकृष्ण मंदिर प्रांगण, महेश कॉलोनी में हुई। दीक्षा उपरांत उन्हें नया नाम दिया गया है। अब वे मुनि हंसभद्र के नाम से जाने जाएंगे। उन्होने दीक्षा प.पु मोहनलालजी म. सा. के समुदायवर्ती पूज्यपाद गुरुदेव खरतरगच्छ विभूषण प.पु. जयानंद मुनि जी म.सा. के सुशिष्य प.पु. पंन्यास प्रवर गणिवर श्री विनय कुशलमुनि जी प.पु.नंदिषेण मुनि जी म .सा. ,दीर्घ तपस्वी प.पु श्री वीरभद्र मुनि जी गणि म.सा.आदि ठाणा महेन्द्र सागर जी म सा के शिष्य रत्न विशुद्ध सागर जी जीत सागर जी के सानिध्य में ली। इसके पहले सुबह लापसी लूट महानिष्क्रमण भ्रमण यात्रा कार्यक्रम के पश्चात संयम ग्रहण की विधि गुरु भगवंत साध्वी गण ,चतुर्विद संघ के समक्ष विधि संपन्न कराई गई। विधि क्रिया के साथ वेश परिवर्तन केश लोचन के साथ रुहान मेहता का नवीन नाम साधु हंसभद्र मुनि हुआ। दीक्षा समारोह में संयमोत्सव समिति के संयोजक कांतिलाल बोथरा, सह संयोजक गौतम लोढ़ा, महावीर कोठारी, किशोर कोचर, डॉ. प्रकाश पारख, मंत्री संजय लोढ़ा, सह मंत्री, अशोक दुग्गड़, गिरीश गोलछा, प्रवीण बोथरा, जितेन्द्र तातेड़, संदीप निमाणी, दीपक चोपड़ा, संजय बोहरा, श्री आदिनाथ जैन श्वेतांबर मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष पदमचंद बरड़िया, महामंत्री विनोद गोलछा, कोषाध्यक्ष संतोष दुग्गड़, उपाध्यक्ष अमृत लोढ़ा,मनीष बोथरा, सुरेश कोठारी, सहमंत्री महावीर लोढ़ा, राजेश मालू, रीतेश बुरड़, ओसवाल पंचायत, मूर्तिपूजक संघ के सदस्य, दुर्ग सकल समाज के सदस्यों के अलावा ओसवाल पंचायती, श्रावक एवं श्राविका संघ सहित प्रदेश व देशभर से जैन समाज के लोग जुटे।  

संयम चमत्कार से कम नहीं-अरुण वोरा

दीक्षा समारोह में पूर्व विधायक अरुण वोरा शामिल हुए। उन्होने कहा कि यह संयम चमत्कार से कम नहीं है। उन्होंने बालक डुग्गू के इस निर्णय की सराहना करते हुए उसे पूरे समाज के लिए एक मिशाल बताया है। श्री वोरा ने कहा कि इतनी कम अल्पायु में सांसारिक मोह-माया को त्यागकर वैराग्य का मार्ग अपनाना केवल अद्भुत नहीं, बल्कि अत्यंत प्रेरणादायी है। यह डुग्गू की धर्म और संयम के प्रति गहरी निष्ठा का प्रतीक है। मैं भगवान आदिनाथ से प्रार्थना करता हूँ कि उन्हें आध्यात्मिक शक्ति, संयम और सेवा का संबल प्राप्त हो।


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